Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2022

शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा (Shukravar Santoshi Mata Vrat Katha and Aarti)

        शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा (Shukravar Santoshi Mata Vrat Katha)   संतोषी माता व्रत कथा- एक बुढ़िया थी, उसके सात बेटे थे। 6 कमाने वाले थे जबकि एक निक्कमा था। बुढ़िया छहों बेटों की रसोई बनाती, भोजन कराती और उनसे जो कुछ जूठन बचती वह सातवें को दे देती। एक दिन वह पत्नी से बोला- देखो मेरी माँ को मुझ पर कितना प्रेम है। वह बोली- क्यों नहीं, सबका झूठा जो तुमको खिलाती है। वह बोला- ऐसा नहीं हो सकता है। मैं जब तक आँखों से न देख लूं मान नहीं सकता। बहू हंस कर बोली- देख लोगे तब तो मानोगे। कुछ दिन बाद त्यौहार आया। घर में सात प्रकार के भोजन और चूरमे के लड्डू बने। वह जांचने को सिर दुखने का बहाना कर  पतला वस्त्र सिर पर ओढ़े रसोई घर में सो गया।  वह कपड़े में से सब देखता रहा। छहों भाई भोजन करने आए। उसने देखा, माँ ने उनके लिए सुन्दर आसन बिछा नाना प्रकार की रसोई परोसी और आग्रह करके उन्हें जमाया। वह देखता रहा। छहों भोजन करके उठे तब माँ ने उनकी झूठी थालियों में से लड्डुओं के टुकड़े उठाकर एक लड्डू बनाया। जूठन साफ कर बुढ़िया माँ ने उसे पुकारा- बेटा, छहों भाई भोजन कर गए अब तू ही बाकी है, उठ तू कब खाएगा। व